The Greatest Guide To Shodashi

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कामपूर्णजकाराख्यसुपीठान्तर्न्निवासिनीम् ।

ह्रीं श्रीं क्लीं परापरे त्रिपुरे सर्वमीप्सितं साधय स्वाहा॥

Matabari Temple is actually a sacred position where people today from unique religions and cultures Collect and worship.

प्राण प्रतिष्ठा में शीशा टूटना – क्या चमत्कार है ? शास्त्र क्या कहता है ?

When the Devi (the Goddess) is worshipped in Shreecharka, it is claimed being the highest method of worship with the goddess. There are actually 64 Charkas that Lord Shiva gave to the people, in addition to diverse Mantras and Tantras. These got so that the people could concentrate on attaining spiritual Added benefits.

She could be the 1 possessing Excessive beauty and possessing power of delighting the senses. Exciting mental and psychological admiration from the three worlds of Akash, Patal and Dharti.

The selection of mantra sort will not be merely a make a difference of desire but displays the devotee's spiritual aims and the nature of their devotion. It is just a nuanced facet of worship that aligns the practitioner's intentions with the divine energies of Goddess Lalita.

ఓం శ్రీం హ్రీం క్లీం ఐం సౌ: ఓం హ్రీం శ్రీం క ఎ ఐ ల హ్రీం హ స క హ ల హ్రీం స క ల హ్రీం సౌ: ఐం క్లీం హ్రీం శ్రీం 

श्रीचक्रवरसाम्राज्ञी श्रीमत्त्रिपुरसुन्दरी ।

ह्रीङ्कारं परमं जपद्भिरनिशं मित्रेश-नाथादिभिः

यह देवी अत्यंत सुन्दर रूप वाली सोलह वर्षीय युवती के रूप में विद्यमान हैं। जो तीनों लोकों (स्वर्ग, पाताल तथा पृथ्वी) में सर्वाधिक सुन्दर, मनोहर, चिर यौवन वाली हैं। जो आज भी यौवनावस्था धारण किये हुए है, तथा सोलह कला से पूर्ण सम्पन्न है। सोलह अंक जोकि पूर्णतः का प्रतीक है। सोलह की संख्या में प्रत्येक तत्व पूर्ण माना जाता हैं।

Disregarding all caution, she went for the ceremony and located her father experienced begun the ceremony with out her.

Out of curiosity why her father did not invite her, Sati went to the ceremony Although God Shiva tried using warning her.

यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी more info प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।

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